google-site-verification: googleaeb31003b33f7142.html google-site-verification=Xv40uOZ979n4BNmsBw5B2vPl5LCHtrZ-5MILlPJO6Uo google-site-verification=Xv40uOZ979n4BNmsBw5B2vPl5LCHtrZ-5MILlPJO6Uo भगवान शिव के ही लिंग की इसलिये होती है पूजा, जानें क्या कहते हैं पुराण

भगवान शिव के ही लिंग की इसलिये होती है पूजा, जानें क्या कहते हैं पुराण


हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी-देवता माने गए हैं। पर सभी देवी— देवताओं में केवल भगवान शिव के ही लिंग का पूजन किया जाता है। इसकी कुछ खास वजह है, जो बहुत कम लोग ही जानते हैं। आज हम आपको पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वही कारण बताने जा रहे हैं।

ये कहता है शिव पुराण

 भगवान शिव के लिंग की पूजा का एक कारण शिव पुराण में बताया गया है। जिसमें ऋषियों के पूछने पर सूतजी उन्हें भगवान शिव की पूजा मूर्ति व लिंग दोनों में किए जाने का कारण बताते हैं। सूतजी कहते हैं कि एकमात्र शिव ही ब्रह्म रूप होने के कारण  निराकार कहे गए हैं। वहीं आकार में होने के कारण उन्हें सकल भी कहा जाता है। यानी वे साकार और निराकार दोनों है। अब चूंकि भगवान शिव निराकार भी हैं, ऐसे में उनकी पूजा निराकार लिंग यानी प्रतीक के रूप में होती है और साकार होने की वजह से उनकी मूर्ति की भी पूजा की जाती है। भगवान शिव के अलावा कोई निराकार ब्रह्मा स्वरूप नहीं है। इसलिए उनकी पूजा लिंग रूप में नहीं की जाती है।


लिंग सृष्टि की उत्पत्ति का प्रतीक

 भगवान शिव का आदि व अंत नहीं बता पुराणों में उन्हीं से सृष्टि की उत्पत्ति मानी गई है। अब चूंकि बीज रूप में लिंग ही उत्पत्ति का कारण होता है, लिहाजा भगवान शिव का प्रतीक लिंग माना गया है। भगवद् गीता में भी इस संबंध में लिखा है कि
'सर्वयोनिषु कौन्तेय मूर्तय: संभवन्ति या:।
तासां ब्रह्मा महद्योनिरहं बीजप्रद: पिता।।'
अर्थात सभी प्राणियों में जितनी वस्तुएं उत्पन्न होती है, उन सबकी योनि यानी जन्म देने वाली मां प्रकृति है और बीज देने वाला शिव यानी लिंग मैं हूं।

लिंगोद्भव में भी छिपा राज

 शिव लिंग पूजन का कारण लिंगोद्भव की मूर्तियों व वेदों में भी छिपा है। लिंगोद्भव की प्राचीन मूर्तियों में भी लिंग से ही सभी देवी-देवताओं सहित सृष्टि की उत्पत्ति को बताया गया है। वहीं, वेदों में सृष्टि की उत्पत्ति व अंत का क्रम लगातार चलने की बात लिखी है। जिसके अनुसार  शिव ही सृष्टि का अंत कर ब्रह्मा रूप में उसकी फिर से रचना करते हैं। इसलिए भी वे सृष्टि के सृजन करने वाले लिंग के रूप में पूजनीय है।

Post a Comment

0 Comments