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भक्त कथा: धन्ना जाट के साथ खाना खाते थे भगवान, बिना बीज बोए खेत में उगता था अनाज

God used to eat food with Dhanna Jat, grain used to grow in the field without sowing seeds

Dhanna Jat Katha: धन्ना जाट का नाम प्रमुख संतों में लिया जाता है। राजस्थान के टोंक जिले में जन्में धन्ना जाट की सरल भक्ति के रीझकर खुद भगवान इनके साथ भोजन करने आते थे। भगवान की कृपा से इनके खेत में बीज बोये बिना ही अन्य किसानों के मुकाबले अच्छी फसलें होती थी। भगवान की भक्ति में कई पद लिख चुके उन्हीं धन्ना जाट के इतिहास व चमत्कारिक घटनाओं के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।


धन्ना जाट का जन्म व गुरु

एम.ए. मैकालिफ के अनुसार धन्ना का जन्म टोंक जिले के धुवान गांव में हुआ। जबकि अनंत दास वैष्णव की धन्ना की परछाई के अनुसार उनका जन्म धुवान से करीब छह किलोमीटर दूर खीरपुर अथवा खैरागढ़ में विक्रम संवत 1425 से 1515 के बीच हुआ।  धन्ना जाट संत रामानंद के शिष्य थे।


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 धन्ना जाट के चमत्कार (Miracles of Dhanna Jat)

 1. धन्ना जाट के साथ भगवान का भोजन

 धन्ना जाट के पिता किसान होकर भी गाय, गंगा, ब्राह्मण व ठाकुरजी के भक्त थे। एक बार घर पधारे कुलगुरू से उन्होंने उनकी शालग्राम की बटिया मांगी तो कुलगुरू ने भी उन्हें यह कहते हुए दे दी कि इनकी रोजाना पूजा कर भोग लगाना। उनके चले जाने पर धन्ना ने जब शालग्राम की पूजा कर भोग लगाया तो भगवान ने भोजन नहीं किया। इस पर भगवान के भोजन करने के इंतजार में वे 3 दिन तक भूखे— प्यासे रहे। जब उनका दुख असहनीय हो गया तो भगवान ने प्रकट होकर उनका भोजन स्वीकार किया। उसके बाद तो धन्ना जब गाय चराने जंगल जाते तो भगवान वहीं प्रकट होकर उनके साथ भोजन करने लगे। जब अगले साल कुलगुरू ने वापस आकर शालग्राम की पूजा के बारे में पूछा तो भोले स्वभाव वाले धन्ना जाट ने भगवान द्वारा उनके साथ भोजन करने की बात कह दी। इस पर कुल गुरु ने उन्हें भी भगवान के दर्शन करवाने की बात कही तो धन्ना जाट उन्हें भी जंगल ले गए। लेकिन कुलगुरू को भगवान ने दर्शन नहीं दिए। इसके बाद भगवान की प्रेरणा से ही वे रामानंद स्वामी को गुरु बनाने काशी चले गए। उन्हें गुरु बना कर वे फिर खेरागढ़ आकर भक्ति भाव में लग गए।

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2. खेत में बिना ​बीज बोए हुआ अनाज

एक बार खेत में बीज बोने जा रहे धन्ना जाट को गांव में संतों का समागम दिखा तो उन्होंने अपना सारा अनाज उन संतो को दे दिया। इस पर उनका हाली व पिता काफी नाराज हुए।लेकिन, धन्ना जाट सब भगवान पर छोड़ निश्चिन्त हो गए। इसके बाद तो पांचवे दिन ही खेत में बीज अपने आप उगना शुरू हो गए। अन्य किसानों की तुलना में उनके खेत में सवा गुना ज्यादा फसल हुई। इसके बाद तो धन्ना की जय जयकार होने लगी।


3. धन्ना जाट के तूंबे में निकले अनाज के भंडार

 बहुत समय बाद धन्ना का हाली फसल तैयार होने पर अनाज बैलगाड़ी में भरकर गांव ला रहा था। रास्ते में भूखे प्यासे संत देख धन्ना ने अनाज फिर उन्हें देना शुरू कर दिया। ये देख हाली नाराज हो गया। अपना हिस्सा लेकर वह यह कहते हुए चला गया कि अब से वह उनके खेत में काम नहीं करेगा। इसी वर्ष बीज बोने के समय धरना के पैरों में बीमारी भी हो गई। जिसके चलते वह खेत में बीज नहीं बो पाया।  कुछ दिनों में खेत में तूंबे उगने लगे। जिन्हें देख हाली व गांव के लोग मजाक करने लगे कि अबकी बार धन्ना तूंबे की रोटी खाएगा। हाली बोला कि देखो मैंने धन्ना के लिए खेती नहीं की तो फसल हुई ही नहीं। हाली के वचनों को सुनकर भी धन्ना शांत भाव से भगवान भजन में ही लगे रहते। जब कार्तिक महीना आया तो तूंबे तैयार हो गए। धन्ना का भी पैर ठीक हो गया तो वह खेत पर गया। जहां उसने तूंबों को देखकर उन्हें संत महात्माओं को भेंट करने की योजना बनाई। पर उसने जैसे ही तूंबो को छुआ तो उनमें अनाज भरे मिले। सरल व ईमानदार धन्ना सभी को बैलगाड़ी में भरकर उन्हें गांव के ठाकुर के पास ले गया और कहने लगा खेत में बिना बोये ही अनाज हुआ है। ऐसे में ये उसका नहीं होकर दरबार का है। ये सुन दरबार ने कहा आप भगवान के भक्त हैं और भगवान ने ही आपकी सहायता की है। अतः इस पर आपका ही अधिकार है। इसके बाद धन्ना भगवान की कृपा समझकर अनाज को घर ले गया। भगवान की भक्ति में लीन रहने वाले धन्ना जाट की ख्याति ऐसे ही किस्सों से दिनों दिन फैलती गई। संवत 1520 से 1525 के बीच उन्होंने देह त्याग दी। 

God used to eat food with Dhanna Jat, grain used to grow in the field without sowing seeds

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