google-site-verification: googleaeb31003b33f7142.html google-site-verification=Xv40uOZ979n4BNmsBw5B2vPl5LCHtrZ-5MILlPJO6Uo google-site-verification=Xv40uOZ979n4BNmsBw5B2vPl5LCHtrZ-5MILlPJO6Uo सूर्य पूजा से होता है तन व मन का विकास, इस विधि से करें उपासना

सूर्य पूजा से होता है तन व मन का विकास, इस विधि से करें उपासना

 

सूर्य बहुत प्रभावशाली तथा प्रत्यक्ष देवता है।सूर्य का प्रभाव पृथ्वी तथा चन्द्रमा दोनों पर होता है। सूर्य सिंह राशि का मालिक है। उच्च का सुर्य जन्मपत्री में राज सम्मान दाता माना जाता है।सूर्य की उपासना रविवार के दिन की जाती है। इससे शरीर एवं मन का विकास होता है। सूर्य को प्रसन्न करने के लिए जप,स्तुति,उदय,होते सूर्य के दर्शन करने चाहिए। गेहूॅ,कमल पुष्प,गुड़,लाल चंदन,लाल वस्त्र,तॉबा,सोना आदि का दान करना चाहिए।

सूर्य उपासना का समय व व्रती का भोजन
सूर्य की उपासना सुबह सूर्य के निकलने से दो घण्टे पहले नित्यकर्म से निपटकर करनी चाहिए। सूर्य का व्रत करने वाला व्यक्ति मीठा भोजन करे। सूरज के छिप जाने के बाद कुछ भी नही खाना चाहिए। नवग्रहों में सूर्य सब ग्रहों के बीच में है।

सूर्य पूजा के मंत्र
    

सूर्य आवाहन मंत्र:—
ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यंच।
हिरणयेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन् ।।
व्याख्या:— हे सूर्य देवता आप अनन्त प्रकाशवान हैं और पापों का नाश करने वाले हैं। मैं आपका आवाहन करता हूॅ।

ॐ जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महाद्यतिम।
तमोरि सर्वपापघ्नं सूर्यमावाहाम्यहम।।
ॐ विश्वानिदेव सवितदुरितानि परासुव यद्रभंद्र तन्न आसुव।
 व्याख्या:— हे सूर्य देवता आप आए और अनिष्टों को दूर करें तथा  अभीष्ट को प्राप्त करावें।

सूर्य की स्थापना मंत्र

ॐ भूर्भुव: स्व कलिंग देशोद्भव काश्यप गोत्र रक्तवर्ण भोसूर्य! इह आगच्छ इह तिष्ठ सूर्याय नम:
श्री सूर्य मावाह्यामि स्थापयामि।।
व्याख्या: हे सूर्य देवता आप यहां आएं और विराजित होवें।

सूर्य का ध्यान मंत्र:—
पद्यासन: पद्याकरो द्विबाहु: पद्यद्युति:सप्ततुरंंगोवाहन:।
दिवाकरो लोकगुरू किरीटीमयि प्रसादं देवा:।।
 ॐ ग्रहाणामादिरादित्यो लोकरक्षण कारक:।
विषम स्थान संभूतां पीडां हरतु ते रवि:।।
व्याख्या:—हे तीनों लोकों की रक्षा करने वाले सूर्य देवता मेरा कष्ट दूर करो।

सूर्य के जाप मंत्र:—
ॐ सूं सूर्याय नम:या ॐही घृणि:सूर्याय नम:।

जापों की संख्या सात हजार बार विशेष 28 हजार बार सुबह ब्रह्मा मुहूर्त में करें।
     
सूर्य का बीज मंत्र:
ॐ हा्ं ही्ं हौ्ं सूर्याय नम:।

जपा कुसुमसंकाशं काश्यपेयं महाशद्युतिम् ।
तमरि सर्वपापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरम् ।।
 व्याख्या:— जपा अढ़ोल के पुष्प की भांति जिनकी छवि है। जो कश्यप से पैदा हुए हैं।  समस्त अधंकार एवं पापों को नष्ट करने वाले है,ऐसे सूर्य भगवान को मेरा प्रणाम है।   

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