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दिवाली मनाने की एक नहीं कई है वजह, जानें क्यों अहम है ये दिन

                                            

(Why is Diwali celebrated?)

भारत पर्वों का देश है। जिसमें हर त्योहार का अपना एक अलग रंग, उल्लास और महत्व है। इनमें सबसे बड़ा पर्व दिवाली (diwali)माना जाता है। जो पांच दिन तक व्यक्ति को धर्म व धन से जोड़ता है। राष्ट्रीय एकता और सद्भाव के प्रतीक इस पर्व को पंच महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। दिवाली (deepawali) का अर्थ भी दीप पुंज प्रकाशित कर अंधकार को हरना है।  अमावस की काली रात में मिट्टी के दीयों की दीप मालिका और लक्ष्मी जी की आराधना हर घर व ह्रदय को प्रकाशित करती है। ज्यादातर लोग दिवाली को रावण वध के बाद भगवान राम के अयोध्या आगमन व लक्ष्मी पूजन के रूप में ही जानते हैं। आज हम आपको बताते हैं कि दिवाली पर्व का संबंध किन किन घटनाओं से हैं।

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इसलिए है दिवाली का महत्व/ दिवाली क्यों मनाते हैं? (Why is Diwali celebrated?)

दिवाली के साथ कई पौराणिक कथाएं व इतिहास जुड़े हुए हैं। जैसे भगवान रामचंद्र जी 14 वर्ष का वनवास काटकर इसी दिन अयोध्या लौटे थे। समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी का प्रादुर्भाव इसी दिन हुआ था। इसके अलावा भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन नश्वर शरीर छोड़ा था। जैन मत के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर व महर्षि दयानंद ने भी दिवाली को ही निर्वाण प्राप्त किया था। यही नहीं स्वामी रामतीर्थ भी इसी दिन जन्मे और उन्होंने इसी दिन जल्द समाधि ली। आयुर्वेद के प्रवर्तक धनवंतरी का जन्म धनतेरस को हुआ। वामन अवतार में जन्म लेकर नरक चौदस के दिन तीन पग में ही संपूर्ण पृथ्वी नापते हुए भगवान नारायण ने राजा बलि को वरदान दिया था कि जो आज के दिन दीप दान करेगा श्री हरी प्रिया लक्ष्मी उसके घर पर सदा निवास करेगी।


इस श्लोक के साथ जलायें दीप

हमारे यहां  छोटी दीपावली से ही दीप जलाने की परंपरा है। शाम को दीप जलाते समय निम्न श्लोक का जाप करना चाहिए।

 शुभम करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।

 शत्रु वृद्धि विनाशय: दीप ज्योति नमोस्तुते।।

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