google-site-verification: googleaeb31003b33f7142.html google-site-verification=Xv40uOZ979n4BNmsBw5B2vPl5LCHtrZ-5MILlPJO6Uo google-site-verification=Xv40uOZ979n4BNmsBw5B2vPl5LCHtrZ-5MILlPJO6Uo पितृ पक्ष: ज्ञात के अज्ञात पितरों का तर्पण का दिन है सर्वपितृ व महालया अमावस्या, यूं करें तर्पण

पितृ पक्ष: ज्ञात के अज्ञात पितरों का तर्पण का दिन है सर्वपितृ व महालया अमावस्या, यूं करें तर्पण

पितृ पक्ष: श्राद्ध करने से परिवार में ये होता है लाभ, नहीं करने पर भोगने पड़ते हैं ये नुकसान

श्राद्ध पक्ष का समापन सर्वपितृ, पितृविसर्जनी या महालया अमावस्या के साथ रविवार को होगा। इस दिन ज्ञात व अज्ञात आत्माओं की शांति के लिए तर्पण व श्राद्ध का किया जाता है। जिन पितरों की तिथि ज्ञात नहीं हो उनका श्राद्ध व तर्पण इस अमावस्या पर किया जाता हैै। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार अमावस्या पर गजछाया का विशेष योग बन रहा है। जिसमें पितृ कार्य विशेष फलदाई होगा। 

पितरों का हेाता है विसर्जन, इसलिए है महत्व

श्राद्ध एक अनुष्ठान व पितरों के प्रति सम्मान का प्रतीक ही नहीं है। बल्कि, मृत्यु के बाद भी जीव की विभिन्न लोकों व योनियों की यात्रा में सहयोगी प्रक्रिया है। शास्त्रों के अनुसार जीवात्मा मनुष्य के रूप में उत्पत्ति व मृत्यु तक ही सीमित नहीं है। इससे पहले भी वह यात्रा करता हुआ आता है और मृत्यु के बाद भी उसकी यात्रा जारी रहती है। ऐसे में श्राद्ध कर्म मनुष्य जन्म से इतर भी उस जीव की यात्रा में उसके भोजन- पानी व अन्य सुविधाओं की प्रक्रिया है। जिसे पूरा करना हर व्यक्ति का धर्म है। इसी धर्म को अमावस्या के अतिरिक्त श्राद्ध पक्ष में निभाने का विशेष विधान है। जिसमें भी सर्वपितृ अमावस्या का विशेष महत्व है। श्राद्ध पक्ष में पितरों को विदा करने की यह अंतिम तिथि होती है। शास्त्रों के अनुसार 15 दिन तक पितृ घर में विराजते हैं। जिनकी सेवा कर हम इस दिन उन्हें विदा करते हैं। इसीलिए इसे 'पितृविसर्जनी अमावस्या'(Pitra visarjan amavasya), 'महालय समापन' या 'महालय विसर्जन' (Mahalay visarjan) भी कहते हैं।  संवत 2079 व वर्ष 2022 में यह अमावस्या इस बार 25 सितंबर 2022 को है।  इस अमावस्या का महत्व  इस प्रकार है:-


भूली- बिसरे पितरों की तृप्ति का दिन

महालय विसर्जन अमावस्या पर उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जो भूले बिसरे हैं या जिनका श्राद्ध उनकी श्राद्ध तिथि पर नहीं किया जा सका। मान्यता है कि ऐसे पितर इस दिन नदी तट या घर द्वार पर आते हैं। जिनका श्राद्ध नहीं होने पर वे निराश व नाराज भी हो जाते हैं। 


पंच बलि कर्म करने का दिन

महालय विसर्जन श्राद्ध पंचबलि अर्थात गोबलि, श्वानबलि, काकबलि और देवादिबलि कर्म करने का दिन है। इस दिन औध्र्वदैहिक संस्कार, पिण्डदान, तर्पण, श्राद्ध, एकादशाह, सपिण्डीकरण, अशौचादि निर्णय, कर्म विपाक आदि के द्वारा पापों का प्रायश्चित भी किया जाता है।

गीता के अध्याय का महत्व

महालय अमावस्या के दिन पितरों की शांति, प्रसन्नता व आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गीता के दूसरे और सातवें अध्याय का पाठ करने का विशेष महत्व माना गया है। एक पात्र में दूध, पानी, काले तिल, शहद और जौ मिला पीपल की जड़ सींचने का भी विधान है।


Post a Comment

0 Comments