हिंदू धर्म में तिलक या टीका लगाने की महत्वपूर्ण परंपरा है। शास्त्रों के अनुसार तिलक के बिना स्नान, दान, जप,तप,यज्ञ,देव व पितृ कर्म का कोई फल नहीं रहता। इसलिए हर मांगलिक व पूजा कार्य तिलक लगाकर ही किए जाते हैं। ये तिलक रोली,मिट्टी, भस्म, सिंदूर, गोपी चंदन, केसर व चंदन के होते हैं, जिनका अपना अलग महत्व है. आइए आज आपको चंदन का तिलक लगाने का महत्व बताते हैं।
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चंदन तिलक के लाभ व महत्व (Importance of sandalwood tilak)
पंडित दिनेश शर्मा के अनुसार चंदन के तिलक का महत्व रामायण सहित कई ग्रंथों से समझा जा सकता है। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में लिखा है कि 'अणुलिप्तं पराध्येन चम्देनेन परन्तपम्' अर्थात भगवान श्रीराम ने मस्तक पर चंदन का तिलक धारण किया.शर्मा के अनुसार चंदन तासीर में ठंडा होता है, जो माथे पर लगाने पर मस्तिष्क को शांत व एकाग्र रखता है। चंदन का तिलक लगाने से साधक का साधना में मन लगता है.योग साधना में भी माना गया है कि मस्तक के सामने से ब्रह्मरंध्र की ओर जाने वाली सुषुम्रा नाड़ी का शांत और पुष्ट होना जरूरी है और चंदन का तिलक इस कार्य को करता है। इसके अलावा चंदन से मष्तिष्क शांत होने पर व्यक्ति समस्याओं का सामना भी शांत मन से सहजता से कर सकता है। शांत मस्तिष्क में बुराइयां भी नहीं आती। चंदन संकल्प शक्ति को बढ़ाने के साथ अनिद्रा, तनाव, सिरदर्द व बुखार जैसी बीमारियों को भी दूर करने में सहायक माना गया है।
चंदन का तिलक लगाने का तरीका
पंडित दिनेश शर्मा के अनुसार चंदन का तिलक उर्ध्वपुण्डू और त्रिपुण्ड दोनों तरह से लगाया जा सकता है। किसी त्योहार या उत्सव में चंदन का तिलक रात में लगाने का विशेष महत्व है. भौहों के बीच चंदन का साधारण तिलक भी बहुत लाभकारी है.
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