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भक्त कथा: भगवान शिव के परम भक्त थे रावण के दादा ऋषि पुल्त्सय, रावण को आजाद कराया, गोवर्धन पर्वत को दिया था श्राप

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पुराणों में ऋषि पुलस्त्य का नाम काफी प्रसिद्ध है। उन्हें भगवान ब्रह्म का मानस पुत्र माना गया है, जो भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त, तपस्वी और ज्ञानी मुनि थे। रावण जैसा राक्षस भी इन्हीं के कुल में पैदा हुआ था। पर इनका एकमात्र लक्ष्य विश्व कल्याण करना था। आइए आज हम आपको पुल्स्त्य ऋषि के बारे में बताने जा रहे हैं।

स्त्रियों को गर्भवती होने का दिया था श्राप

 
पंडित दिनेश मिश्र के अनुसार पुराणों में पुलस्त्य ऋषि ब्रह्मा के मानस पुत्र कहे गए हैं। ये मेरु पर्वत पर तपस्या करते थे। तपस्या में बाधा पहुंचाने पर एक बार उन्होंने अप्सराओं को श्राप दिया कि उनके सामने आने पर उनके सहित हर ​स्त्री गर्भवती हो जाएगी। इसके बाद वैशाली के राजा की पुत्री इडविला इसी शाप की वजह से गर्भवती हुई। जिसके बाद उसका विवाह पुलस्त्य ऋषि से हुआ। संध्या, प्रतीची, प्रीति और प्रजापति की पुत्री हविर्भू भी इनकी पत्नियोंं में शुमार थी। इनके पुत्र का नाम ऋषि विश्रवा था, जिनके पुत्र ही रावण और कुबेर थे। 


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रावण को कराया आजाद
ऋषि पुल्स्त्य ने एक बार अपने पोते रावण की भी जान बचाई थी। अपनी आसुरी प्रवृत्ति के कारण एक समय कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन ने रावण को बंदी बना लिया था। तब ये ही अपने उसे बचाने गए थे। सहस्त्रार्जुन ने ऋषि पुल्सत्य की आज्ञा पर ही रावण को आजाद किया था। योग विद्या के ज्ञाता ऋषि पुल्स्त्य ने  देवर्षि नारद को वामन पुराण की कथा भी सुनाई थी। महाभारत काल में दुर्योधन के 100 भाई भी इन्हीं के वंश के माने गए हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इन्होंने लंका में रहकर तपस्या की थी। इन्होंने भीष्म पितामह को भी ज्ञान दिया था।

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ऋषि पुल्स्त्य के शाप के कारण छोटा हो रहा गोवर्धन पर्वत
पुराणों के अनुसार ऋषि पुल्स्त्य ने उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थ गोवर्धन पर्वत को भी शाप दिया था। पौराणिक कथा के अनुसार गोवर्धन पर्वत पर मोहित होकर वे उसे काशी ले जाना चाहते थे। पर वे जाना नहीं चाहते थे। आखिर में गोवर्धन ने शर्त रखी कि वे उसे जहां भी रख देंगे, वहीं वह रह जाएगा। जब वे गोवर्धन को हथेली पर लेकर चले तो रास्ते में ब्रज आने पर ही वह भारी हो गया। जो वहां रखने पर वहीं स्थापित हो गया। इसके बाद साथ चलने पर मना करने पर पुलत्स्य ऋषि ने उन्हें हर दिन मुट्ठीभर छोटा होने का शाप दे दिया। मान्यता है कि उसी शाप की वजह से गोवर्धन पर्वत का आकार लगातार घट रहा है।


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