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Sheetala ashtami 2023: जानें क्यों मनाया जाता है शीतलाष्टमी या बासेड़ा, ये है शीतलाष्टमी की कथा व गीत


चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी शीतलाष्टमी या बासेड़ा के रूप में मनाई जाती है। कुछ राज्यों में सप्तमी पर भी शीतला माता का पूजन होता है। इस दिन शीतला माता को ठंडे पकवानों का भोग लगाने के साथ घर- परिवार में भी लोग दिनभर ठंडा भोजन ही करते हैं। इस बार शीतलाष्टमी 15 मार्च को मनाई जाएगी। आज हम आपको शीतलाष्टमी मनाने का कारण, शीतलाष्टमी की कथा व शीतलाष्टमी पर गाए जाने वाले गीत के बारे में बताने जा रहे हैं।

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इसलिए मनाई जाती है शीतलाष्टमी

 शीतला माता के बारे में स्कंद पुराण में जिक्र है। पौराणिक कथाओं के अनुसार शीतला माता शक्ति के दो स्वरूप दुर्गा व पार्वती के अवतार के रूप में चेचक, खसरे व अन्य मौसमी बीमारियों से बचाती है। वैज्ञानिक आधार पर देखें तो यह पर्व गर्मी के मौसम का आगमन बताता है। जो मौसम में बदलाव के साथ भोजन में बदलाव का भी संकेत देता है। यह पर्व सीख देता है कि इस दिन के बाद से बासी भोजन नहीं करना चाहिए। गर्म पानी से नहाना बंद कर शीतल भोजन ग्रहण करना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार गर्मी की शुरुआत के साथ शरीर में पित्त विकार भी शुरू हो जाते हैं। ऐसे में चेचक सहित विभिन्न रोगों से बचाव में आहार में बदलाव महत्वपूर्ण कदम है। कुल मिलाकर ये पर्व सीख देता है कि हमें तन, मन व आहार सबकी शीतलता व शुद्धता पर ध्यान देना चाहिए।

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शीतलाष्टमी की कथा

एक बुढ़िया माई थी। वह बासेड़ा को ठंडी रोटी खाती और शीतला माई की पूजा करती। गांव में और कोई भी ऐसा नहीं करता था। एक दिन सारे गांव में आग लग गई। जिसमें सारा गांव तो जल गया लेकिन बुढिया की झोपड़ी नहीं जली। तब सब किसी ने आकर बुढ़िया से पूछना शुरू कर दिया कि तेरी झोपड़ी कैसे बच गई। इस पर बुढ़िया माई बोली कि वह शीतलाष्टमी को ठंडी रोटी खाकर शीतला माता की पूजा करती है। इसकी वजह से ही उसकी झोपड़ी आग से बची है। इसके बाद तो पूरे गांव में यह ढिंढोरा पीट दिया गया कि बासेड़ा और बूढ़ा बासेड़ा को सब ठंडा पकवान खाकर शीतला माता की पूजा करें। इसके बाद से सब शीतला माता की पूजा करने लगे।
कहानी के अंत में कहा जाता है कि है शीतला माई! जैसे आपने बुढ़िया माई की रक्षा की वैसे ही सबकी करना।

शीतला माता का गीत

एडल सेडल नीसरिए मांय, अट सट गटाए पलात मेरी मांय।
सेडल आई शहर म एमांय थे, हर कांपी म्हारा बाल कियांरी मांय।
थे मत डरपो म्हारा बाल कियांरी मांय, कुशल करगी म्हारी सेडल मांय।
धाोकन ए म्हारा दशरथजी की नार, तन एनीवाज म्हारी सेडल मांय।
ठंडी रोटी राबड़ी ए मांय, यो माता को भोग मेरी मांय।
सील सील धोकस्यां ए मांय, पिछ ए पड़गी धूप मेरी मांय।
माता को मंड सांकड़ो ए मांय, जाती ढारो बड़ो परिवार मेरी मांय।
और चिणाऊं मंड मोकली ए मांय, दशरथजी को परिवार मेरी मांय।

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